वो अनजान हैं

।। वो अनजान हैं ।। 

वो इक मुस्कान हैं, 
      उसको देखते ही आ जाती मुझमें जैसे जान हैं, 
पर जरा वो इस बात से अनजान हैं। 
      सोने की जैसे वो मेरी खान हैं, 
बसती उसमें मेरी जान हैं,
      मैं अधूरा वो मेरी पुरी पहचान हैं।।

हाँ वो अनजान हैं।
हाँ वो अनजान हैं।। 
       बताओ बताओ....? वो मेरी मुस्कान ☺ है,
वो चंचल सी, मासूम सी
       वो भोली सी, वो शैतान सी, 
 पर वसती उसमें मेरी जान सी,
       इतनी सी तो उस से जान पहचान है,
 
हाँ वो अनजान हैं।
हाँ वो अनजान हैं।। 

औ शैतान देख लिया कर मुझे एक बार 
तु ही तो मेरी जान हैं 
तु ही तो मेरी जान हैं।। 

हाँ वो अनजान हैं।।
हाँ वो अनजान हैं।।  






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