"तुम बिन"
तुम बिन में खुद को अधूरा महसूस करता हूँ, तुम बिन में खुद को मायूस फील करता हूँ, हाँ यहाँ तुम्हारी ही बात हो रही हैं, पर में खुद को अनजान समझ रहा हूँ, वेसै में बड़ा बोरियत इसांन हूँ, पत्ता नहीं तुम केसै झेलती थी..! मुझे..! पर ये सच हैं, तुम बिन खुद को अकेला महसूस करता हूँ, तुम बिन खुद को विरान समझता हूँ, तुम बिन, बिन बात के ख्याल मन मे घेर लेता हूँ। खाली खाली मन, और उस मन से बिन मतलब की बातें करता रहता हूँ। तन्हा नहीं हूँ पर खुद को तन्हा कर लेता हूँ जब भी याद आती हैं तुम्हारी, तुम बिन तुझे ख्वाबों मे लिये याद कर लेता हूँ।। तुम बिन पता नहीं कैसे रह लेता हूँ। पर सच हैं तुझको में खुद में जी लेता हूँ।। "तुम बिन"
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